महाराष्ट्र विधानसभा के पहले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिह्न घड़ी के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अजित पवार की पार्टी को राहत दी। हालांकि अदालत ने अजित और शरद पवार की NCP को नसीहत भी दी। कहा कि वे कोर्ट में अपना समय बर्बाद न करें, बल्कि चुनाव में जाकर वोटरों को लुभाएं। कोर्ट ने अजित गुट से कहा कि अखबारों में 36 घंटे के भीतर डिस्क्लेमर छपवाएं कि घड़ी चुनाव चिह्न का मामला कोर्ट में है। शरद पवार गुट ने याचिका लगाई है
चुनाव चिह्न विवाद पर शरद पवार गुट ने याचिका लगाई है। इसमें कहा गया कि अजित गुट अदालत का आदेश नहीं मान रहा, इसलिए उसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में घड़ी चिह्न के इस्तेमाल से रोका जाए। साथ ही अजित गुट को नए चिह्न के लिए आवेदन करने का निर्देश दें। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीते 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी। अदालत ने कहा था कि NCP (अजित गुट) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट बोला- आदेश न मानकर अपने लिए शर्मनाक हालात न बनाएं
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने अजित पवार के वकील को निर्देश दिया था कि अजित गुट नया हलफनामा भी दाखिल करे। साथ ही चेतावनी दी कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया तो वह (कोर्ट) खुद ही अवमानना का केस शुरू करेगी। जस्टिस सूर्यकांत ने अजीत पवार के वकील बलवीर सिंह से कहा था- एक बार जब हमने निर्देश जारी कर दिया तो उसका पालन करना होगा। आप जवाब दाखिल करें और एक नया हलफनामा दें कि अतीत में भी आपने उल्लंघन नहीं किया है और भविष्य में भी आप उल्लंघन नहीं करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्ष हमारे निर्देशों का पालन करेंगे। अपने लिए शर्मनाक स्थिति न बनाएं। कोर्ट रूम LIVE शरद पवार गुट के वकील प्रांजल अग्रवाल: अजित पवार पक्ष उन वीडियो को हटाकर सबूत नष्ट कर रहा है जो बिना किसी डिस्क्लेमर के सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए थे। वे झूठ बोलते हैं कि हर वीडियो के अंत में एक डिस्क्लेमर था। 1 नवंबर को बारामती निर्वाचन क्षेत्र से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि अजित पवार पक्ष के पोस्टरों में कोई डिस्क्लेमर नहीं है। शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी: अजित पवार के बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के कारण उनके पक्ष को बार-बार कोर्ट में आने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आपकी दी गई व्यवस्था फेल हो गई है। अजित पवार कहते रहते हैं कि शरद पवार हमारे भगवान हैं। वे जानते हैं कि शरद पवार के नाम और घड़ी चिह्न का उपयोग करने का क्या फायदा है। बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है,” घड़ी चिह्न का प्रयोग शरद पवार पिछले 36 सालों से करते आ रहे हैं।” जस्टिस दत्ता: लोकसभा चुनाव में, शरद पवार की पार्टी ने जीत हासिल की थी।
सिंघवी: चुनाव जीतने का प्रश्न नहीं है। आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार गुट को नए चुनाव चिह्न के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया जाए। जस्टिस दत्ता: जब चुनाव चल रहे हैं तो कोर्ट अजित पवार को घड़ी के चुनाव चिह्न का उपयोग करने से कैसे रोक सकती है। अजीत गुट के वकील बलबीर सिंह: सिंघवी की बात मानना सुनवाई के दौरान ही अंतिम राहत देने जैसा होगा। NCP ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल के लिए सुप्रीम कोर्ट की लगाई गई सभी शर्तों का पालन कर रही है। पार्टी डिस्क्लेमर प्रकाशित करने के लिए न्यूज पेपर्स से संपर्क कर रही है।
जस्टिस सूर्यकांत: आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने में समय क्यों लगा रहे हैं, हम आपको दिन नहीं दे रहे हैं, हम पूछ रहे हैं कि आप कितने घंटों में डिस्क्लेमर प्रकाशित कर सकते हैं। बलबीर सिंह: दो-तीन दिन के अंदर यह किया जा सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत: 24 घंटों या अधिकतम 36 घंटों के अंदर, आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करें। इसके बाद बलबीर सिंह ने कोर्ट में अंडरटेकिंग दी कि 36 घंटों के अंदर मराठी दैनिकों सहित सभी प्रमुख अखबारों में यह डिस्क्लेमर प्रकाशित हो जाएगा कि NCP के घड़ी चुनाव चिह्न का मामला अभी कोर्ट में है। NCP के चुनाव चिह्न से जुड़ी पिछली 4 सुनवाई… महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग, 23 नवंबर को मतगणना
चुनाव आयोग ने 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किया था। राज्य में 20 नवंबर को सिंगल फेज में सभी 288 सीटों पर वोटिंग होगी। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। पूरा मामला क्या है… 6 फरवरी: चुनाव आयोग ने अजीत गुट को असली NCP माना, शरद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
6 फरवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद मुंबई में NCP कार्यालय में अजित पवार के समर्थकों ने जश्न मनाया। चुनाव आयोग ने इसी साल 6 फरवरी को अजित पवार गुट को ही असली NCP माना था। साथ ही आयोग ने शरद पवार को नए राजनीतिक दल के लिए 7 फरवरी की शाम 4 बजे तक तीन नाम देने को कहा था। चुनाव आयोग ने 6 महीने तक चली 10 सुनवाई के बाद यह फैसला दिया था। आयोग ने कहा कि विधायकों की संख्या के बहुमत ने अजित गुट को NCP का नाम और चुनाव चिह्न हासिल करने में मदद की। जिसके खिलाफ पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार की इस याचिका को अर्जेंट सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। पूरी खबर पढ़े… 15 फरवरी: महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने अजित गुट को असली NCP बताया
महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट ने NCP विधायकों की अयोग्यता पर 15 फरवरी तक फैसला सुनाने का आदेश दिया था। नार्वेकर ने 15 फरवरी को अजीत पवार गुट को असली NCP की मान्यता दी थी। उन्होंने अजीत गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग भी खारिज कर दी थी। स्पीकर ने कहा था कि संविधान की दसवीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून का उपयोग आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। जब जुलाई 2023 में NCP विभाजित हुई थी तब अजीत पवार गुट के पास 53 में से 41 विधायकों का “भारी विधायी बहुमत” था। पूरी खबर पढ़ें… अजित ने 5 जुलाई को कहा था- अब मैं NCP चीफ 29 जुलाई की सुनवाई में कोर्ट ने अजित गुट से जवाब मांगा था
शरद गुट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा अजित गुट को असली NCP घोषित करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की। कोर्ट ने अजित पवार और उनके गुट के 40 विधायकों से मामले में जवाब मांगा था। शरद गुट की ओर से पेश वरिष्ठ एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो जाने का तर्क देते हुए जल्द सुनवाई की मांग की। इस पर बेंच ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर इसी तरह की याचिका पर सुनवाई के बाद शरद गुट की इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी। CJI ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे और अंत में सभी आपत्तियों पर सुनवाई की जाएगी। इसमें अन्य रिस्पॉन्डेंट्स को भी दस्ती (नोटिस देने का एक तरीका) देने की स्वतंत्रता है। दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट ने भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट को असली शिवसेना घोषित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। NCP केवल 2 राज्यों में सीमित
2000 के तत्कालीन चुनाव परिणामों के आधार पर NCP का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा 10 अप्रैल 2023 को छिन गया था। अब यह केवल महाराष्ट्र और नगालैंड में क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता रखती है।
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