झारखंड और महाराष्ट्र चुनावों में जो मुद्दे हावी किए जा रहे हैं, उन्हें देख कर लगता है कि नेता ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से पहले देश भर के वोटर्स का मन भी एक कर देना चाहते है. वे ऐसे मुद्दे बना लेना चाहते हैं जो पूरे देश में उनके हित साध सकें. जनता के हितों की परवाह किए बिना. नेताओं की यह चाल उनकी स्मार्टनेस साबित होगी या बेवकूफी, यह तो वोट के जरिए जनता के जवाब से ही तय होगा. फिलहाल समझते हैं कि झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में लोकसभा चुनाव जैसा अहसास क्यों और कैसे हो रहा है.
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