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बुलडोजर लेकर रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते:सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फटकार, कहा- 25 लाख रुपए मुआवजा दो

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई है। बुधवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- यह मनमानी है। आप बुलडोजर लेकर रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते हैं। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घर के सामान का क्या? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- आप इस तरह से लोगों के घरों को कैसे ध्वस्त करना शुरू कर सकते हैं? किसी के घर में घुसकर बिना किसी नोटिस के उसे ध्वस्त करना, यह अराजकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि आप केवल ढोल बजाकर लोगों को घर खाली करने और उन्हें गिराने के लिए नहीं कह सकते। कोर्ट ने सरकार को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। दरअसल, यह पूरा मामला 2019 का है। जब महाराजगंज जिले में प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण के लिए कई घरों पर बुलडोजर चलाया था। याचिकाकर्ता के वकील ने इस मुद्दे की जांच की मांग की थी। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि इस मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए। क्योंकि कोई भी दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किया गया है, जो NHAI की मूल चौड़ाई और अतिक्रमण को दर्शाता हो। 2020 में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 2020 में दायर याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। इस याचिका को मनोज टिबरेवाल ने दाखिल किया था। महाराजगंज में अतिक्रमण के नाम पर उनका मकान भी 2019 में ध्वस्त कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कोर्ट में कहा- याचिकाकर्ता ने 3.7 वर्ग मीटर का अतिक्रमण किया था। सरकार के इस तर्क पर सवाल करते हुए कोर्ट ने कहा- आप लोगों के घरों को इस तरह पूरा कैसे तोड़ सकते हैं? किसी के घर में घुसकर बिना नोटिस के उसे गिरा देना गैरकानूनी है। 123 घर और अन्य निर्माणों पर भी चला था बुलडोजर
सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिकाकर्ता के वकील ने बताया- आसपास के 123 अन्य मकान/ निर्माण भी ध्वस्त किए गए। वहां प्रशासन ने लोगों को सिर्फ सार्वजनिक अनाउंसमेंट करके सूचना दी। इस पर कोर्ट ने अंचभा जताते हुए कहा कि यह विध्वंस पूरी तरह से मनमाना था। नियमों के बिना किया गया। 3.7 मीटर के हिस्से पर प्रशासन ने खींची थी पीली लकीर
याचिकाकर्ता के मुताबिक, NHAI और जिला प्रशासन ने बिना किसी नोटिस के उनके घर की 3.7 मीटर की जमीन को हाईवे की बताते हुए पीली लाइन खींच दी। याचिकाकर्ता ने उतना हिस्सा खुद ही ध्वस्त करा दिया। लेकिन डेढ़ घंटे के अंदर पुलिस और प्रशासन ने अपनी निगरानी में सिर्फ मुनादी की औपचारिकता कर बुलडोजर से पूरा घर ध्वस्त करवा दिया। घरवालों को सामान तो क्या खुद घर से निकलने का मौका नहीं दिया। कोर्ट ने इस अवैध विध्वंस के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया। याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश
कोर्ट ने सरकार को याचिकाकर्ता को 25 लाख देने का निर्देश दिया। यह मुआवजा अंतरिम प्रकृति का है। यानी, याचिकाकर्ता को किसी अन्य कानूनी कार्रवाई करने से नहीं रोकेगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के भी निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार भी अवैध कृत्यों के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। —————————————————————————- यह खबरें भी पढ़ें:- 17 लाख मदरसा स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे:सुप्रीम कोर्ट ने UP मदरसा एक्ट बरकरार रखा, लेकिन PG-रिसर्च सिलेबस तय करने पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने UP बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट की वैधता बरकरार रखी है। यानी उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे और 16000 मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह फैसला खारिज कर दिया, जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था। पढ़ें पूरी खबर… भास्कर एक्सप्लेनर- चलते रहेंगे यूपी के 16 हजार मदरसे:आलिम-फाजिल की डिग्री पर रोक; सुप्रीम कोर्ट ने क्यों पलटा हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए UP मदरसा एजुकेशन एक्ट को बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि मदरसे चलते रहेंगे। इससे पहले हाईकोर्ट ने UP के मदरसों में पढ़ रहे सभी बच्चों का दाखिला सामान्य स्कूलों में कराने का आदेश दिया था। इससे UP के करीब 25 हजार मदरसों पर तलवार लटक रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मदरसों को बड़ी राहत मिली है। पढ़ें पूरी खबर…

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